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वो मासूम सी मन की,
चुलबुली सी लड़की!
दिखती नहीं हैं अब
नज़र लगी है शायद किसी की!
देखा था जिसे पंछी सी चहकते हुए,
ख़्वाबों के आसमां में उड़ते हुए ,
कुछ बेरंग सा दिखता हैं अब चेहरा
ना जाने क्यूँ लगाए है पहरा!!
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चुलबुली सी लड़की!
दिखती नहीं हैं अब
नज़र लगी है शायद किसी की!
देखा था जिसे पंछी सी चहकते हुए,
ख़्वाबों के आसमां में उड़ते हुए ,
कुछ बेरंग सा दिखता हैं अब चेहरा
ना जाने क्यूँ लगाए है पहरा!!
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