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हौसला अनंत, तेरा जज़्बा अथाह है,
तेरे जुनून का हर लम्हा गवाह है,
जहां कदम बढ़ा दे वहीं पे तो राह है।।
ये जुर्म की चट्टान बहुत कठोर है,
माना अंधेरा भी बहुत घनघोर है
इस ओर से उस छोर तक, गिद्दों का शोर है।
न बैठ तू टूट कर,
आगे बढ़ जूझकर।
जीतने की जिद कर,
क्यों मानता तू हार।
कर वज्र सा प्रहार,
झकझोर अन्याय का आधार।
अपना जुगनू जगा,
एक बूंद ही सही, तू रौशनी जला।
फिर देख भागता कैसे,
ये वक्त जो स्याह है।।
हौसला अनंत, तेरा जज़्बा अथाह है,
तेरे जुनून का हर लम्हा गवाह है,
जहां कदम बढ़ा दे वहीं पे तो राह है।
-Sujeet Dwivedi "मार्शल"
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