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मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. .
सपना टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने .
हर सपनों के वही तो मंज़िल होते हैं,
हर कश्ती के वही तो शाहिल होते हैं.
नइया डुब जाती है,जब सांथ छोड़ देते हैं अपने ...
मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. ..
और इस पल में हम यूं बिखर जाते हैं,
जैसे कोई माला हो गुथती हुुई अपूर्ण
बाकि हो जिसमें मोती सिर्फ दो-चार ही.
फेंक दिया जाता हो जिसे पुुुरा होने से पहले ही उम्मीदें टूूट जाती है जिसके बिखरते ही,
मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. .
कैसे रोकें इन अश्कों को ?
जो अपनों के भरोसे को बहा रही है.
जितनी उम्मीदें मन मेें दबी थी सिसक-सिसक कर नयनों में आ रही है .
नयनों में निशा छा जाती है, जब अपने सपने तोड़ देते हैं..|
मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. ....
" कुछ ख्वाब मेरे भी थे नयनों में,
जो आज ...,
अश्कों में बह कर निकल गये ...."!!
~सुजाता भारद्वाज
सपना टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने .
हर सपनों के वही तो मंज़िल होते हैं,
हर कश्ती के वही तो शाहिल होते हैं.
नइया डुब जाती है,जब सांथ छोड़ देते हैं अपने ...
मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. ..
और इस पल में हम यूं बिखर जाते हैं,
जैसे कोई माला हो गुथती हुुई अपूर्ण
बाकि हो जिसमें मोती सिर्फ दो-चार ही.
फेंक दिया जाता हो जिसे पुुुरा होने से पहले ही उम्मीदें टूूट जाती है जिसके बिखरते ही,
मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. .
कैसे रोकें इन अश्कों को ?
जो अपनों के भरोसे को बहा रही है.
जितनी उम्मीदें मन मेें दबी थी सिसक-सिसक कर नयनों में आ रही है .
नयनों में निशा छा जाती है, जब अपने सपने तोड़ देते हैं..|
मन टूट जाता है, जब सांथ छोड़ देते हैं अपने. ....
" कुछ ख्वाब मेरे भी थे नयनों में,
जो आज ...,
अश्कों में बह कर निकल गये ...."!!
~सुजाता भारद्वाज
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