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ग़ज़ल


ये उदासी, खुशी उसी ने दी

और मुझे ज़िन्दगी उसी ने दी।


ग़म खुशी बेबसी उसी ने दी

पास मेरे जो भी उसी ने दी


मेरे चेहरे पर भाव उसके हैं,

मैं नहीं,हाज़िरी उसी ने दी।


उम्र भर पहले इत्मिनान दिया,

और फिर तिश्नगी उसी ने दी।


मेरा तो, मेरे पास कुछ नहीं है,

ये ग़ज़ल शायरी उसी ने दी।


ख़ुद वो बदनाम हो नहीं सकता,

तो? मुझे आशिकी उसी ने दी।


खूब सोता है,रात बनकर वो,

दिन में भी रोशनी उसी ने दी।


उसने ही ठूंठ कर दिया था मुझे,

कोंपलें भी हरी उसी ने दी।


सूबे सिंह सुजान


कुरुक्षेत्र हरियाणा

मोबाइल 9416334841


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