
Share0 Bookmarks 45 Reads0 Likes
फिर कभी....
हसीं शाम की सुनहरी किरणों के साए में
गंगा के किनारे बैठ कर
शांत बहती हुई धाराओं को देखते हुए
पूरे दिन की थकान आपकी बातों में लपेट देंगे।
फिर कभी....
किसी हसीन इतवार की सवेरे जब सूरज ने पलकें खोली होंगी
हरे-भरे खेतों के बीच,तन के खड़े पहाड़ों के पीछे
बिखरे पत्थरों के बीच साथ बैठ सुनहरे पलों को जी लेंगे।
फिर कभी....
किसी पूनम की क्षणदा में
चमकते सितारों और हसीं शशि को गवाह बनाकर
अपनी गलतियों और बेहिचक बातों के जा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments