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हर चेहरे में नया चांद

Suhani raiSuhani rai June 22, 2022
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इश्क वो जो था दरिया सा अपना,

उस दरिया से निकल जाना जरूरी था क्या?

निकलना था तो हमको निकालते ;

सुकून से मुझे बिखरता हुआ देख पाते!


पता नही था मुझे,

कि अफसोस अब कोई फिर तुमको ना होगा;

कभी तुम खुद से कुछ गलत ना करते,

बोलता नही क्या कुछ दिल ये तुम्हारा;

बता देते गर तो हम शिकवा भी ना करते!


नासमझ भी इतनी ये मोहब्बत नही थी;

प्यार से तुम्हारे कभी कोई शिकायत ही नही थी!


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