Share0 Bookmarks 30883 Reads1 Likes
इश्क वो जो था दरिया सा अपना,
उस दरिया से निकल जाना जरूरी था क्या?
निकलना था तो हमको निकालते ;
सुकून से मुझे बिखरता हुआ देख पाते!
पता नही था मुझे,
कि अफसोस अब कोई फिर तुमको ना होगा;
कभी तुम खुद से कुछ गलत ना करते,
बोलता नही क्या कुछ दिल ये तुम्हारा;
बता देते गर तो हम शिकवा भी ना करते!
नासमझ भी इतनी ये मोहब्बत नही थी;
प्यार से तुम्हारे कभी कोई शिकायत ही नही थी!
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments