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उम्मीद
छूट जाए जब कोई दिल सा साथी
ना रहे जीवन में जब कोई उम्मीद बाकी
तो दिल की गहराइयों से उभरते
और आँखों से बरसते
बेरंग अश्कों की स्याही
और जज़्बातों की कलम से
दिल के कोरे काग़ज़ पर
शब्द दर्द बनकर फूटते है
ना जाने फिर हम किस उम्मीद में जीते हैं ।
वैसे तो जीवन के कई रूप है
छाँव ख़ुशी की तो कहीं ग़म की धूप है
पर जब ना हो जीवन में जीने की उमंग
लगने लगे फीके ज़िंदगी के हर रंग
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