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तुम कैसे पत्रकार ?
ना तर्कों में तुम्हारी धार
ना तथ्यों का कोई आधार
है स्वरों में उत्तेजना सीमा पार
तुम कैसे पत्रकार ?
सत्य से ना तुम्हारा कोई सरोकार
परोसे साँझ सवेरे झूठे समाचार
करते हो रोज नैतिकता का संहार
तुम कैसे पत्रकार ?
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