Share0 Bookmarks 36204 Reads1 Likes
स्त्री और परंपरा
वो स्त्री थी
उसने वेदनाएँ सही
जीर्ण धारणाओं में जकड़ी रही
स्त्री धर्म समझ
प्रथाओं को निभाती रही
अपने अंतर्मन को मारकर
स्वयं झुलसती रही
कई वर्ष बीते&nb
Send Gift
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments