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सत्य का बीज
गर्म रेत की चारपाई है
काँटों का बिछोना है
जटिल कठिन पथ पर
बीज सत्य का बोना है
असत्य क्षणिक मात्र है
क्यूँ भार उसका ढ़ोना है
सत्य के उजागर होने पर
शर्मिंदा उसे होना है
दर्पण समक्ष देख स्वयं को
गौरान्वित अनुभूत होना है
मन पर कोई बोझ ना हो
चैन से चादर तान के सोना है
निर्भीक निश्छल सत्य सम्मुख
असत्य को परास्त होना है
जटिल कठिन पथ पर
बीज सत्य का बोना है
-सुधीर बडोला
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