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सशक्त दरख़्त

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पत्ती चटक सी हरी है

वो टहनी से जो जुड़ी है

टहनी में कोमलता है

क्यूँकि वो शाखा से संलग्न है

शाखा उन्माद में लहराती है

मगन है आसक्त तने से होने पर

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