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शाम और मैं…
शाम और मैं
एक रोज़ साथ बैठे
बातों का दौर चला
दिन और रात को समेटा
अतीत को टटोला
आने वाले कल को निहारा
फिर एक नए संकल्प के साथ
मुस्कुराते हुये
एक दूसरे को अलविदा कहा
-सुधीर बडोला
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