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रात हैरान कर देती है…
अक्सर अकेलेपन से जूझता हूँ
सितारों को देख ख़ुद टूटता हूँ
आदत नहीं मुझे सन्नाटों की
घबराहट कुछ अनसुनी आहटों की
तेरी स्मृतियाँ परेशान कर देती है
रात हैरान कर देती है
ये लकीरें ये सिलवटें देती हैं गवाही
किस कदर तकियों ने सिसकियाँ दबाई
बेरहम निशा क्यूँ इतना ठहरती है
बड़ी मुस्किल से जब ये कटती है
बस गुज़र कर एहसान कर देती है
रात हैरान कर देती है
-सुधीर बडोला
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