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प्रेम की राह
एक छोर मैंने पकड़ा है
दूसरा तुम सँभाल लो
देखना अमर ‘प्रेम’ हो जाएगा
एक हद मैंने तय कर ली
कुछ फासला तुम काट लो
देखना ‘राह’ आसान हो जाएगी
एक जिद मैंने छोड़ दी है
अब इक हठ तुम त्याग दो
देखना फिर ‘बात’ बन जाएगी
तुम दिन ना ढलने दो
मैं आज रात ना आने दूँ
देखना रंगीन ‘शाम’ बन जाएगी
-सुधीर बडोला
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