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सौभाग्य
माँगी दुआएँ मस्तक झुकाया
ली ईश्वर की पनाह
बरसों से थी इस घर को
बस एक कन्या की चाह
तेरे आगमन से सारा घर
फूलों की ख़ुशबू सा महका
मधुर ख़ुशियों की ध्वनि से
घर आँगन भी चहका
ओंस की बूँद सी निश्छल तुम
तुझसे पतझड़ में भी बहार है
मस्तिष्क पटल पर तेरी हर स्मृति
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