मैं दीपक की लौ जलाऊँ's image
Share0 Bookmarks 59284 Reads2 Likes

मैं दीपक की लौ जलाऊँ


तुम माटी के दिये बनाओ

मैं दीपक की लौ जलाऊँ

अनुशय सारे अब बिसरा कर

टूटे रिश्तों को फिर अपनाऊँ ।


घर आँगन को कर रोशन

पटाखों का तुम्हें शोर सुनाऊँ

बाँट खील बताशे और मिष्ठान

मधुर पलों को गले लगाऊँ ।


राह दिखे जो मुरझाए चेहरे

उन कुंठित आँखों को चमकाऊँ

Send Gift

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts