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काश कोई ऐसा लम्हा होता…
काश कोई ऐसा लम्हा होता
जिसे मधुर स्मृतियों ने संजोया होता
किताबों ने पन्नों बीच छुपाया होता
आँखों ने इशारों से बताया होता
चेहरे ने सिर्फ़ भावों से समझाया होता
बादलों ने बहकर सहलाया होता
हवाओं ने हौले हौले झुलाया होता
काश कोई ऐसा लम्हा होता…
-सुधीर बडोला
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