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कलियुग में द्रौपदी
आज फिर कौरवों का जोश
चरम सीमा पर था,
दुस्साहशन में फिर अदम्य साहस
और भुजाओं में बल था,
उत्तेजित दुर्योधन की ‘ जाँघ ‘
आज फिर फड़फड़ाई
भरी सभा में फिर एक बार
‘ लज्जा ‘ शर्मसार हुई,
फिर एक बार आज
द्रौपदी लाचार हुई ।
पता नहीं पर क्यूँ आज फिर
अर्
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