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हठ
तूफ़ान का क़हर
ना अब आँधी से है डर
उड़े कितनी भी ऊँची
उफ़ान ये लहर
जब सूरज की लाली सी
दमके हर सहर
हौसलों ने कहा हवाओं से
थोड़ा अब ठहर ।
~ सुधीर बडोला
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हठ
तूफ़ान का क़हर
ना अब आँधी से है डर
उड़े कितनी भी ऊँची
उफ़ान ये लहर
जब सूरज की लाली सी
दमके हर सहर
हौसलों ने कहा हवाओं से
थोड़ा अब ठहर ।
~ सुधीर बडोला
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