अग्रणी's image
Share0 Bookmarks 219 Reads1 Likes

अग्रिणी


है सागर का वेग तुझमें

नदियों सी शीतल हो

विशुद्ध विचारों से लिपटी

सामर्थ्य में सबल हो

सदियों से झेली वेदनायें

अडिग’पर्वत सी प्रबल हो


बंधनों की खोलती गुत्थियाँ

बेड़ियों को तोड़ने का दमख़म हो

नवजगत की नवचेतना तुम

हर कार्य में सक्षम हो

हो मर्दानी झाँसी की रानी

अदभुत शक्ति का परचम हो


मातृत्व का आँचल भी तुम

प्रेम सी निश्छल हो

कर्मठ भी कठोर भी

संगिनी अति निर्मल हो

कभी सीता कभी दुर्गा

स्त्री’ हर स्वरूप में तुम उज्जवल हो


-सुधीर बडोला

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts