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अगले जन्म में सोचूँगा
कविता के बारे में!
यह जन्म..
प्रेम के परीक्षण में ही बीत गया
परिणाम भी बता नहीं पाऊँगा अभी!
तो...
प्रयोगशाला जलने तक,
मुझे दीजिए इजाज़त!
तख्लिया!
~ सुधांशु रघुवंशी
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