
वह हमारे इश्क की कदर न कर पाए।
बस हम कदर का इंतजार करते रह गए।
हम कितने बेशर्म थे।
जो हर बार उन्हें तक लौट कर चले आए।
हम उनके काबिल नहीं थे।
मतभेदों का सिलसिला है हमारे दरमियां।
यह जानते हुए भी।
हम उस हवस को इश्क का नाम देकर लौट आए।
कोई शमशन नहीं बची।
जहां हम इस मासूम से दिल को दफना आते।
वह गलियां बावरी हो गई जनाब।
हमारे इश्क का परचम फहराते फहराते।
टूटा है इस कदर जिस्म मेरा।
एक गुरुरी आदमी को समझाते समझाते।
उसको अपनी मोहब्बत का एहसास दिलाते दिलाते।
अब यह इश्क के थामे यह जिस्म नहीं थमेगा।
कोई कब्र ढूंढो ना जनाब मेरे नाम की अब वह यह वही रहेगा।
एक बूंद इश्क की ख्वाहिश नहीं इसे।
यह कहता उस कब्रिस्तान में पड़ा रहेगा।
कह देना उन अमीरों की इश्क को।
गरीब की तरह भी इश्क करके देख लो।
आखिरी दम तक एहसास होगा।
चेहरे लाख होंगे तुम्हारी आंखों पर।
दिल में सिर्फ वही एक खास होगा।
काबिल तो नहीं हम तुम्हारे।ना सही।
जब याद आए तो चले आना।
इस बूढ़े कब्रिस्तान में।
मेरे मोहब्बत की गवाही अकेले दिया करेगा।
यह चिल्ला चिल्ला कर।
मेरे आंसुओं का हिसाब।
तुम्हारे आने के बाद लिया करेगा।
हर रोज सुना कर तुम्हें।
मेरे इश्क ए मौत का किस्सा।
रुला रुला दिया करेगा तुम्हें।
नहीं तो अमीर बहुत है।
पैसे कमाने की होड़ है ।
वह खुद ही।
कोई नया कब्रिस्तान ढूंढ लेंगे।
कोई बात नहीं कभी मिलें अगर तो हम कीसी जगह।
यही सोचकर हम जी लगे।
एक बूंद अमृत_sudha
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