
वह मोहब्बत ही क्या जो तुम हमसे कह ना सके।
दिल से हमारे होकर भी।
तुम किसी और की बाहों में रातें गुजार आए।
खुद पर इतना भरोसा दिला दिया।
फिर तुम अपनी मोहब्बत को मेरी यादों में छोड़ आए।
तुम खुद को मेरी रूह के अंदर जिंदा रख पाए।
तुम मुझे बताओ तो सही।
तुम जिस्मो की प्यास क्यों बुझा आए।
तुमने सोचा तक नहीं।
मेरी रूह कीस दर पर जाएगी।
उसे मुंह मारने की आदत नहीं जनाब।
वह कितनी बार बताएगी।
वह मोहब्बत ही क्या जो तुम हमसे कह ना सके।
दिलों के इस घाव को तुम भर ना सके
वह आपके ईमान की खुशबू कहां से लाएगी।
हर बार सफाई देकर दोहराते थे तुम।
इश्क के शराब में डूबी मेरी आंखें।
अब क्या दुआ मांगे गी।
टूटा मेरे दिलों का आईना।
अब किसी और का अश्क ना पहचान पाएगा।
बस यह यादों में लिप्त रह जाएगा।
वही किस्सा हर सुबह हर शाम दोहराएंगा।
वह मोहब्बत ही क्या जो तुम हम से कह ना सके।
इतना कठिन था क्या।
जो तुम हमको ना समझा पाए।
दिलों की बात करते हो जनाब।
तुम ईमान तक बेच आए।
मोहब्बतों का किस्सा सुनाने वाले ओ।
जाने कौन-कौन सी गलियों पर वह घूमे होंगे।
अफसोस कि वह हमको इश्क का मतलब बताने आए।
वह हमारी मोहब्बत हो दो कौड़ी के दोलतों से तोलने आए।
हिम्मत तो देखो उनकी।
वह हमारी दहलीज पर वह जिस्मों की मोहब्बत लेने आए।
पर शायद उन्हें पता नहीं।
वह मोहब्बत जो कभी की थी उन्होंने हमसे।
हम उसे अपने ही पड़ोस के श्मशान घाट में दफना आए।
क्या करेंगे हम उनकी सफाईओ का जो वह हमको देने आए
किसी से शिकायत ही नहीं हमें।
हम पूरे जहां से कहलवा आए।
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