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उसकी मोहब्बत ।

sudha kushwahasudha kushwaha October 28, 2021
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वह मोहब्बत ही क्या जो तुम हमसे कह ना सके।

दिल से हमारे होकर भी।

तुम किसी और की बाहों में रातें गुजार आए।

खुद पर इतना भरोसा दिला दिया।

फिर तुम अपनी मोहब्बत को मेरी यादों में छोड़ आए।

तुम खुद को मेरी रूह के अंदर जिंदा रख पाए।

तुम मुझे बताओ तो सही।

तुम जिस्मो की प्यास क्यों बुझा आए।

तुमने सोचा तक नहीं।

मेरी रूह कीस दर पर जाएगी।

उसे मुंह मारने की आदत नहीं जनाब।

वह कितनी बार बताएगी।

वह मोहब्बत ही क्या जो तुम हमसे कह ना सके।

दिलों के इस घाव को तुम भर ना सके

वह आपके ईमान की खुशबू कहां से लाएगी।

हर बार सफाई देकर दोहराते थे तुम।

इश्क के शराब में डूबी मेरी आंखें।

अब क्या दुआ मांगे गी।

टूटा मेरे दिलों का आईना।

अब किसी और का अश्क ना पहचान पाएगा।

बस यह यादों में लिप्त रह जाएगा।

वही किस्सा

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