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तुम कहते हो कुछ लिख दूं।

sudha kushwahasudha kushwaha July 19, 2022
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तुम कहते हो कुछ लिख दो।

तो मैंने लिख दिया है।

मैंने जिस्म को पवित्र स्थल।

रूह को सुकून नाम दिया है।

दिमाग मेरा चमत्कारी ईश्वर का वरदान।

दिल को एक नाजुक सा नाम दिया है ।

मासूमियत इसको पहचान दिया है।

मन को बनारस का घाट कह दिया है।

जिस्म को चिता की राख कह दिया।।

तुम कहते हो कुछ लिख दो।

तो मैंने लिख दिया है।

मैंने जिस्म को मिट्टी।

रुहो आसमान की व सुंदर किरण कह दिया है।

मन को किसी चमत्

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