सुकून।'s image
Share0 Bookmarks 129 Reads1 Likes

जब भी सुकून तलाशा रूह ने।

अपने ही खिलाफ खड़े थे।

सारी दुनिया से लड़ बैठते हम।

पर अपनों से हारे खड़े थे।

मतलबी इस जहां में।

हम अभी रिश्तो की कदर कर रहे थे।

हम हर रोज तिल तिल मर रहे थे।

पर कहते भी किससे।

हमारे जैसे कोई नहीं थे।

और हम उनके जैसे नहीं थे।

जब भी सुकून तलाशा है रूह ने।

अपने ही सबसे पहले खिलाफ खड़े थे।

हम सारी दुनिया से लड़ जाते।

पर अपनों से कैसे लड़ पाते।

फिर हम ओ खुशियां लेकर कहां दफनाते।

अपनों को तकलीफ देकर।

हम अपने लिए क्या कमाते।

मत करो मुझसे ऐसी कोई बात।

जो इस दिल को तकलीफ दे जाए।

पराया रहने दो हमें इस जहां में ।

अपनों की इस कतार में कहीं हम अकेले ही ना नजर आए।

मेरे लिए कुछ करना है तो।

दो पल का सुकून दो।

कुछ भी नहीं।

बस मेरे दिल को थोड़ा सुकून दो।







No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts