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ओ शराबी।
तुम शराब लाख पी लो।
चाहे दारू के ठेके को तुम अपने जननी समझ लो।
धिक्कार तुम्हें तुम्हारी मोहब्बत पर।
जो तुम्हें इतनी दूर तक घसीट कर लाई है।
क्या तुम्हारे अंदर के स्वाभिमान ओ को।
क्या तुमने बेच खाया है।
शिकस्त खा कर इस तरह गिरे हो।
लगता है तुम मर मिटे हो।
एक औरत से पूछ लो आकर।
प्यार किसी और से करके।
किसी और के लिए मुस्कुराती है।
अपनी पलकों के आंसू नीचे नहीं गिरने देती।
अपनी आंखों के नीचे दबाती है।
जुल्फों के साहरे छुपाती है।
जीवन में एक बार जरूर किसी ना किसी से दिल लगाती हैं
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