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मुस्कुराहट मेरी।

sudha kushwahasudha kushwaha July 15, 2022
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मुस्कुराने की वजह मैं खुद हूं।

हर एहसास की खुशी मैं हूं ।

बूंदों का गिरता वह सागर में हूं ।

गंगा से पावन मैं हू।

गंगा का मनभावन मैं हूं।

बस मैं ही मैं हूं।

खुशियों की चादर मैं हूं।

अंबर का गागर मैं हूं।

चमकती चांदनी को सहारा मैं हूं।

दो वक्त की खुशी का गुजारा मैं हूं

मुस्कुराने की वजह मैं खुद हूं।

मेरे अस्तित्व के अंदर समाया शिव क

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