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किसी दिन किसी गली।
मे किसी रोज मौत अगर मुझ से टकराई।
तो मैं उससे कहूंगी।
अभी ठहर जा।
मुझे अपनी डायरी में दो लफ्ज़ लिखने हैं।
अभी जिंदगी जी ही क्या है मैंने।
अभी जिंदगी में कितने कर्ज भरने हैं।
डायरी को करवट ओके तले दबकर।
उधार के सपने बुनने हैं।
किसी दिन किसी गली मैं किसी रोज।
अगर तू मुझसे टकराए ना।
तो वादा।
मैं तेरी पलकों से अपनी पलकें मिलाऊंगी।।
अपने अंदर के उस डर को भगा आऊंगी।
24 घंटो का मोहलत मांगूंगी तुझसे।
अपने हर ख्वाहिशों को
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