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माता पिता की छांव में।

Sudha KushwahaSudha Kushwaha June 14, 2022
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माता-पिता की छांव में।

रहती थी चार बेटियां एक गांव में।

कभी भारी नहीं हुई वो।।

चाहे कितना भी नुकसान किया हो।

फिर भी रही माता पिता के छांव में।

बड़ी खुशी और अरमानों से बेटी को दूसरे घर विदा किया था।

पलकों के छांव मिलेगा।

यही सोचकर बेटी दिया था।

तुम तो घाव देने लगे हो।

आजकल तुम किसी और को भाव देने लगे।

जिसके साथ सात जन्मों का वादा किया था।

तुम तो चार कदम चल कर ही लड़खड़ा दिए हो।

तुम सात जन्म क्या जियो गे।

वादे याद कर लिया करो।

शर्म हो तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो।

नहीं तो वह पल याद कर लिया करो।

जिस पल हर एक वादा और वचन दिया था।

एक पिता ने तुम्हें बेटी इसलिए नहीं दिया था।

क्या दिन में तुम्हें तुम्हारी औकात याद आ जाए।

जिंदगी भर साथ तो इसलिए दिया था।

जन्मों का जो वादा किया है तुमने।

उसे निभाया करो।

माता-पिता के छांव में।

रहती थी चार बेटियां एक गांव में।

रहती थी उस आंगन और गांव में।

मकान जरूर छोटा था।

छोटी थी हैसियत।

बहुत बड़ा छांव था।

मेरे पिता का खूबसूरत गांव था।



अमृत की एक बूंद_Sudhaku






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