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मर्दों का प्यार।

sudha kushwahasudha kushwaha September 26, 2021
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इश्क इश्क करते फिरते थे तुम।

1 साल भी तुमने इंतजार ना किया।

जिस्मों से जुड़ने की कोशिश की तुमने।

मेरी रूहो तक कहां पहुंचे तुम।

शायद रास्ता बहुत लंबा था।

तुम्हारे और हमारे शहर के बीच गड़ एक छोटा सा खंभा था।

तुमने उस फासले को खत्म होने नहीं दिया।

आपने इंतजार में मुझे जी भर के रोने नहीं दिया।

कहते हो इंतजार था।

रुहो को कब से इंतजार होने लगा।

पत्थरों को जनाब कब से प्यार होने लगा।

इश्क इश्क करते फिरते थे तुम।

कुछ पल के लिए तुम ठहर न सके।

परिस्थिति और हाला

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