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मना लो हमको।

sudha kushwahasudha kushwaha March 8, 2022
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तुम घड़ी दो घड़ी बुलाते नहीं।

तुम हम को मनाते नहीं।

इस पागल दिल को तुम समझाते नहीं।

ना जिक्र कर पुरानी बातों का।

इस दिल को तुम बहलाते नहीं।

तुम खामोश इस तरह हमसे ।

खामोश हो जाते हो।

24 घंटों में कई बार।

बार-बार तड़पता है यह दिल।

तुम इसको तनिक सा भी समझाते नहीं।

मेरी बेचैनी देखकर।

तुम घबराते नहीं।

रात भर सो न पाई आंखें।

तुम्हारे ख्यालों में।

पर कुछ वर्षों बाद लगा।

कुछ तो कमी रह गई थी हमारे अफसाने में।

जो इश्क पुरा ना कर पाया।

दिल अंदर से टूटा था।

उसकी आवाज मुझे खुद ना आई।

लगा हट जाओ पीछे।

पर यह बात मेरे दिल को ना भाई।

हम तो वहीं खड़े रह गए।

एक एक पल गिनते हुए।

पर इ

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