
मजबूरियां बहुत कुछ कर आती है।
दो वक्त की रोटी हमें।
हर बेज्जती से लड़ना सिखाती हैं।
यह बुरे हालातों में भी मुस्कुराना सिखाती है।
वो काम अच्छा नहीं लगता।
फिर भी वक्त और हालात कराती है।
जिंदगी हमें हर वक्त एक नया पाठ पढ़ाती है।
वह हमें गम की गलियों से गुजरा कर खुशियों तक का दरवाजा धीरे-धीरे दिखाती है।
हाय रे जिंदगी तू कितना रुलाती है।
₹10 के लिए तरसाती है।
तू जिंदगी है ना।
तू बड़े घमंड से यह बात बताती है।
मजबूरियां बहुत कुछ कर आती है।
दो वक्त की रोटी हमें।
हर बेज्जती से लड़ना सिखाती है।
डर के शर्मा के करेंगे क्या।
यही बात वह बताती है।
हमें बुरा वक्त इसीलिए दिखाती है।
हमें अच्छे वक्त का घमंड ना हो जाए।
ठोकरो की कीमत पता हो हमें।
यही सबक सिखाती है।
बेज्जती हर रोज कराती है।
पर कहीं ना कहीं हमारे हौसले पर इतराती है।
जब तक हम टूटते नहीं हद से ज्यादा।
तब तक वह छेड़ती रह जाती है।
ए जिंदगी है ना जनाब घड़ी दो घड़ी मुस्कुराती है।
अमृत की बूंद _सुधा
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