
ओ मेरे रहबर लिख दिया है मैंने कलम से।
तू ही आखरी प्यास है।
तू मेरे दिल में जिंदा मोहब्बत का आखिरी चिराग है।
दो खूबसूरत लहजे बैठे हैं यहां पर।
बह रही दोनों के दिलों में जज्बात है।
रूह की एक अजीब सी प्यास है।
दिल मिलने को करता है।
मन कहता है कि ढहार कर परख तो ले की उस मोहब्बत में कितने रूहो की प्यास है।
जन्म तक टिकेगा भी वह कि ओ झूठी आस है।
पर दिल कहता है जीवन में वही एक आखिरी आस है।
नहीं तो उसके सिवा कोई नहीं जगा पाएगा मुझे खूबसूरत जस्बात है।
जन्मों का नाता है रूहो का।
यकीन मानो रहबर नहीं यह दो दिन की प्यास है।
ओ मेरे रहबर लिख दिया मैंने कलम से।
तो उसकी स्याही सूख गई।
लिपटी है आज भी उन पन्नों से।
चाहे कितनी भी आंधी आया तूफान आ जाए।
उसकी स्याही आज भी लिपटी है।
मेरे मोहब्बत की दास्तां कहती हुई आज भी उसी पन्ने से लिपटी है।
अगर कलम से लिख दो ना।
तू रहे बर लुट जाए।
तुझे क्या मालूम है इश्क क्या होता है।।
जिस घड़ी जान लेगा तू कहीं तेरी सांसे ना रुक जाए।
यह जिस्म से नहीं जुड़ता।
यह तो रूह की ऐसी प्यास है।
उस शख्स पर रूकती है जन्नत।
वह लगता सबसे खास है ।
लिख दो अगर कलम से तो मेरी जान स्याही सूख जाए।
एक बूंद अमृत_Sudha ku
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