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किताबों पर हम मोहब्बतें दास्तां ए लिख रहे थे।

sudha kushwahasudha kushwaha October 10, 2021
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किताबों पर हम मोहब्बतें ए दास्तां लिख रहे थे।

उधड़े पन्ने जो हमारे दिलों की दास्तां कह रहे थे।

सनी धूल से जो किताबें थी।

उसमें रखा था एक खत

जो मिला हमें।

हम मोहब्बतें दास्तान उनकी अब पढ़ रहे थे।

4 साल पुराने उन यादों में उस शख्स को ढूंढ रहे थे।

हम सोचने लगे थे कि आखिर वह कौन थे।

खत में जो नंबर था।

हम अपने फोन में लिखी ही रहे थे।

कैसे बताएं।

उन्होंने कहा तब तक वह नया आशिक बना चुके थे।

हमें वह वैसे भी पसंद नहीं थे।

हम तो जानते ही नहीं थे।

जो सपने हमारे साथ देखने के लिए सोचे थे।

वह किसी और के साथ निभा चुके थे।

किताबों पर हम मोहब्बतें ए दास्तां लिख रहे थे।

उधड़े पन्ने हमारे दिलों की दास्तां कह रहे थे।

रूहे हमसे कुछ और कह रही थी।

दिल से हम कुछ और कह रहे थे।

मर्दों की इस नालायक से दुनिया में।

कोई लायक मर्द हम ढूंढ

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