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जो मुस्कान तेरे होठों पर है।
उसकी हकदार मैं हूं।
रात भर करवटें बदलता है तू।
उसकी जिम्मेदार मैं हूं।
दूर रहकर भी।
पास होने की बात करता है तू।
तेरे अंदर पैदा होता वह जज्बात मैं हूं।
तू जिंदा है ।
मेरी आंखों के सामने उसकी गवाह मैं हूं।
जो मुस्कान तेरे होठों की मुस्कान मैं हूं
उसका हकदार अगर हकदार मैं हूं।
लो कह दिया हमने।
मुस्कान कायम रहे आसान नहीं है।
यह मेरी जिंदगी है जनाब।
यह कोई किताब नहीं है।
खूबसूरत होगा तुम्हारा जिस्म
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