जिंदगी।'s image
Share0 Bookmarks 100 Reads2 Likes

जिंदगी जर्जर पन्ने सी हो गई।

रूह में सुकून खो गई।

गिरे तो हम बहुत जोर से थे।

कब्रिस्तान की दीवारें हिल गई।

संभाला किसी ने नहीं।

मौत हमें मारने आई थी खुद मर गई।

मैंने दिल के अंदर एक आस जगी थी।

धीरे-धीरे करके मर गई।

एक दिया जलाया था विश्वास का।

मोहब्बत के नाम पर दुनिया उसे भी लूट ले गई।

जिंदगी जर्जर पन्नू सी हो गई।

मुस्कान कहीं खो सी गई।

अपने और पराए की जंग में मैं अजनबी होते चली गई।

मुश्किलों से हारी नहीं मैं ।

बस टूट कर बिखर गई।

हौसला देने वाला कोई एक नहीं मिला।

यह कहती मेरी जर्जर पानो सी जिंदगी रूठ गई ।

सब ने कर लिया अपनी मनमानी।

मैं मासूम सी लड़की ।

ये खुदा उस वक्त से रूठ गई।

कोई क्या

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts