Share0 Bookmarks 213518 Reads1 Likes
इश्क के शहर में तू सबसे अमीर था।
बस मेरा यही एक कसूर था।
के तु इश्क के शहर में सबसे अमीर था।
तेरी आशिकी में यह दिल चूर था।
पर तू करोड़ों की भीड़ में सबसे मगरूर था।
मुझे तुझसे इश्क था।
पर तू तो हजारों की भीड़ में मशहूर था।
करोड़ों चाहने वाले थे तेरे।
लबों पर हंसी थी तेरे।
होठों पर एक गजब की कशिश थी।
मोहब्बत तेरे लिए बस जिस्मों की एक हंसी थी।
दिलों से चाहा तुम्हें बस यही एक कमी थी।
इतनी दूर से चाहा तुझे।
रूहों की मदहोशी में ना रह गई कोई कमी थी।
तेरे जिस्म ने मेरे जिस्म को कभी ना छुआ था।
फिर भी एक एहसास जिंदा दिल के किसी कोने मैं थी।
बस इश्क के शहर में।
बस मेरी एक ग
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments