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गरीबी की मार ने बूढ़ा कर दिया साहेब।

नहीं तो हम भी कभी अपने गांव के अमीर थे।

बीवी की चीजों का ख्याल।

बच्चों की ख्वाइसो ने अंधा कर दिया।

गली गली की ठोकर खाकर।

अमीरों की गालियों ने।

कठोर कर दिया।

गरीबी के मार ने झकझोर कर रख दिया।

चेहरे की सुंदरता नहीं देख सकते साहेब।

हमें तो धूप में ही खटना पड़ता है।

दो वक्त की रोटी के लिए पसीनो

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