Share0 Bookmarks 47757 Reads1 Likes
मिली थी जिन गलियों पर कभी।
उनके नाम की दीवानी हो गई।
शहर वही पुराना था।
मैं नई-नई दीवानी हो गई।
वह तो गुजरे होंगे उस गलियों से।
जहां इश्क की खुशबू आती थी।
बस कुसूर इतना हम गुजर कर पछताए।
हम उनकी यादों में रो भी ना पाए।
इतना भी अधिकार ना देकर गए थे।
अभी अभी तो हम दीवाने हुए थे।
मिली थी जिंदगी ऊपर कभी।
वह गलियां उनके नाम की दीवानी हो गई।
उनके नाम की दीवानी हो गई।<
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments