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मिली थी जिन गलियों पर कभी।
उनके नाम की दीवानी हो गई।
शहर वही पुराना था।
मैं नई-नई दीवानी हो गई।
वह तो गुजरे होंगे उस गलियों से।
जहां इश्क की खुशबू आती थी।
बस कुसूर इतना हम गुजर कर पछताए।
हम उनकी यादों में रो भी ना पाए।
इतना भी अधिकार ना देकर गए थे।
अभी अभी तो हम दीवाने हुए थे।
मिली थी जिंदगी ऊपर कभी।
वह गलियां उनके नाम की दीवानी हो गई।
उनके नाम की दीवानी हो गई।
शहर पुराना हो गया।।
अभी अभी रुका था खाबो का करवा।
बस हम चल दिए थे।
दिल में उम्मीदें बहुत थी।
फिर भी हम मुस्कुरा कर जी लिए थे।
बहुत याद किया उन्हें।
फिर लगाइए झूठी ख्वाहिशों का कारवां तोड़ दो।
खुद को समझा लो ।
पर मैं समझा ना पाई।
अभी अभी तो आई थी।
मैं दीवानी होकर।
यह बात मैं खुद को बता ना पाई।
एक बुद की इस्क _सुधा
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