
छोटी-छोटी अंखियों में बड़े-बड़े सपने दिखाकर वह गुमनाम हो गए।
हमें इतना झुका दिया कि हम अपने ही नजरों में बदनाम हो गए।
कैसे कहे हम क्या से क्या हो गए।
जिसे अभिमान था खुद पर।
वह उससे मीठी मीठी बातें करके सब ले गए।
मेरे लिए जो धूल थी शोहरत वो उसका आइना दिखा गए।
वह इतना क्या रुठे हमसे के हमारे दिल का मजाक बना गए।
हम भी कितने बेशर्म थे जो उनके सामने गिड़गिड़ा गए।
हंसी आई खुद पर फिर हम मुस्कुरा गए।
छोटी-छोटी अंखियों में बड़े-बड़े सपने दिखाकर वह गुमनाम हो गए।
हमें इतना झुका दीया की हम अपनी ही नजरों में बदनाम हो गए।
हम मोहब्बत न समझे तुम्हारी।
तुम समझे नहीं दिल ए दर्द हमारा।
हम तुमको समझ ना पाए।
और तुमने पूछा नहीं।
जाने कितनी रातें रोई यह पलके तेरे लौटने की इंतजार में।
अब मन की लौ बुझ रही है तेरी आस में।
फिर भी तुम्हारा इंतजार है किसी एक एहसास मे।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments