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आजादी की एक ही पुकार थी।
हर जगह जय जय कार थी।
मर मिटने की एक ख्वाहिश बेमिसाल थी।
बीते वक्त की जो एक गुहार थी।
भगत सिंह के एक-एक बूंद रक्त की आज भी चित्कार है।
बरसों से जिस आजादी की गुहार थी।
ओ आजादी आज है।
उनके एक एक बूंद का हिसाब दे रहा यह देश जो आजाद है।
मेरी तरफ से सलाम उन्हें।
जिनका नाम भगत सिंह सुखदेव राजगुरु इत्यादि है।
गांधीजी के हुए अपमानो ने दिया इस देश को सम्मान है।
इस देश के गौरव के लिए त्यागा उन्होंने हर मान है।
वह आज भी इस देश का सम्मान है।
आजादी की एक ही पुकार थी।
हर जगह सिर्फ जय जय कार थी।
इस देश की मिट्टी पर असाखो रक्त की मार थी।
बचाया जिसने इस देश का मान।
उन क्रांतिकारियों के लहू से रंगीन हुई।
जो यह धरती थी।
उन वीरों को इस अमृत का प्रणाम है
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