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सड़को के पास उदास बैठी रहती है
खाली बैंचें
और फोन पर चलती उंगलिया रुकती नही ये यंहा
यंहा नही पूछता आजकल
कोई आगे का रास्ता
यंही बैठकर नही करता कोई वादे आने वाले कल के
इन्हें नही देता दिलासा की धूप लम्हों की मोहताज है
और छांव गोद मे तेरे करवट लेगी
बस बैठी रहती है उदास
उसी उम्मीद में की कोई छोटी सी कहानी&nbs
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