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यूंही दिन गुजर रहे हैं खबर पड़ती नहीं
यूंही रात कट रही हैं खबर पड़ती नहीं
दिल का दर्द इतना गहरा लगा के
कोनसी दवा से सिफा मिलेगी ख़बर पड़ती नहीं
Wrriten By
Shaikh Shezad
यूंही रात कट रही हैं खबर पड़ती नहीं
दिल का दर्द इतना गहरा लगा के
कोनसी दवा से सिफा मिलेगी ख़बर पड़ती नहीं
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Shaikh Shezad
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