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अपनी आगोश में यूंही पड़ा रहेने दे
अपने दिल में गुलाम की तरह खड़ा रहने दे
कोई आराम के लिए ठिकाना ना मिला
अपनी आंखो में कुछ देर आराम करने दे
Wrriten By
Shaikh Shezad
अपने दिल में गुलाम की तरह खड़ा रहने दे
कोई आराम के लिए ठिकाना ना मिला
अपनी आंखो में कुछ देर आराम करने दे
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Shaikh Shezad
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