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इतना पास बुलाकर अब उन्हें छोड़ने का मन नहीं है
मगर क्या करें ये जिन्दगी की दुश्वारियां भी कम नहीं है
देखकर ज़ख्म उन के मेरी आखों में भी आते हैं आंसू
और हम सबसे हंस कर कहते है कि कोई गम नहीं है
कभी प्यार करो तो दर्द भी सहने का एहसास रखो
लाख बुराईयां हो उस में फिर भी उसे अपने पास रखो
क्या पता इस जमाने में तुम्हें उस से प्यारा कोई ना मिले
मुलाक़ात ना हो कभी फिर भी मिलने की आस रखो....
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