Share0 Bookmarks 46908 Reads4 Likes
अपनी चाहत को कुर्बान कर दिया,
समाज तुझपर एहसान कर दिया ॥
मेरे ससुराल की इज्ज़त की खातिर,
मेरे बाप ने घर तक निलाम कर दिया ॥
ऐ समाज तूने ये बेड़ियाँ क्यों पहनाई हैं,
जिसने जन्म दिया उसके लिए होना पराई हैं ॥
खुद के सपनों को मार दूसरे का आंगन सजोना है,
इतना दहेज मांगा क्या किसी की बेटी खिलौना है ॥
समाज को अपने करतूत कर शर्मशार होना नहीं आता,
कन्यादान देकर क्या किसी मां-बाप को रोना नहीं आता॥
तुम लड़के के खातिर जमीन आसमान एक कर सकते हो,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments