चुनावी माहौल's image
Poetry2 min read

चुनावी माहौल

Srivastav GauravSrivastav Gaurav January 30, 2022
Share1 Bookmarks 32378 Reads9 Likes

तुम चुनाव में सामने आते हो

गरीब के घर जाकर खाते हो

ये जनता तुम्हें जिताती है, 

तुम ख्वाब नये दिखलाते हो.... 


कोरे कागज सी ये जनता 

तुम नये कलम की स्याही हो 

जनता बिलख बिलख कर रोये 

जैसे काली बदली छायी हो


ये सरकार तुम्हारी है 

तुम ही इसके राजा हो

पांच साल में नहीं दीखते 

देते केवल झासा हो 


एक मदत ना कर पाओ 

सो जाओ चद्दर तान के 

दूध दही और घी मलाई 

खाओ सब कुछ छान के


जनता के हो सेवक तुम

इसका तुमको भान नहीं 

वोट दिया जो आशा से 

उसका भी सम्मान नहीं 


तुम जो इतना इठलाते हो 

सबको रौब दिखाते हो 

टैक्स के पैसा पर ही तुम

इतनी सुविधा पाते हो 


चप्पल टूटी पहन के तुम 

वोट मांगने आते हो 

जीत गये जो गलती से

शूट बूट सिल

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts