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नजरें चुरा कर क्यों देख रही हो
नाम बदल कर क्यों खोज रही हो
नयी मुहब्बत से क्या दिल्लगी नहीं है
जो पुराने आशिक को सोच रही हो
तेरा मुझे छोड़ जाना आसान लग रहा था
मेरा प्यार तुमको एहसान लग रहा था
अकेले का जीवन भी श्मशान है
मरने वाला भी नादान लग रहा था
बिना देखे ही तुझको प्यार कर लिए
एक बार ना सही हजार बार कर लिए
नये लोगों से मिलने की तेरी आदत नहीं गयी
हम पुराने का सजदा हर बार कर लिये
जीवन का सफर अब तन्हाई न देगा
हजारों में अब तू सुनाई न देगा
पुराने का ज़िक्र नये लोगों से न करना
क्या पता वो तुझे दिखाई न देगा
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श्रीवास्तव गौरव
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