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भूली बिसरी यादें

Srivastav GauravSrivastav Gaurav February 27, 2022
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नजरें चुरा कर क्यों देख रही हो

नाम बदल कर क्यों खोज रही हो

नयी मुहब्बत से क्या दिल्लगी नहीं है

जो पुराने आशिक को सोच रही हो


तेरा मुझे छोड़ जाना आसान लग रहा था

मेरा प्यार तुमको एहसान लग रहा था

अकेले का जीवन भी श्मशान है 

मरने वाला भी नादान लग रहा था 


बिना देखे ही तुझको प्यार कर लिए

एक बार ना सह

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