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एक सफ़र लिखूँ
जिसमे हो
तुम मैं और ढेर सारी बातें
बातें जिसमे हो स्मृतियाँ
अच्छी बुरी
या यूँ कहूँ की
खट्टी मिठी
सफ़र हो
थोड़ा लंबा
जिसमे मिले
सुकून की छाँव
प्रेम का नीर
और एक दूजे का कंधा
जिसपे सिर रख-कर
मिल सके शांति
मन को
व्याकुल हृदय को।।
-सुरेन्द्र पंचारिया
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