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स्कूल का प्रेम

spanchariya78774spanchariya78774 March 8, 2023
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पहली बार देखा

कक्षा में

नज़र ना मिली 

या यूँ कहूँ

मेरी आँख तक ना उठी


हाल यह मेरा 

अब कुछ रोज़ रहा 

एक पहल उसने की

बहाना कॉपी का ही बना


मैंने भी कांपते हाथों से सही

हिम्मत कर नाम पूछ ही लिया

दिनों-दिन यही चलता रहा 

आँखे मिलती 

मुस्कुराहट के बाद नजरें झुक जाती


आख़िर इम्तिहान आ गए

मैं मशरूफ़ और वो भी

इस बोर्ड जो ठेहरी 

ना मिली नज़रें 

ना मुस्कुराहट आई 


ना कभी मुलाकात

ना बात-फ़रियाद

यह स्कूल का इकतरफा प्यार

बस ख़यालों तक ही रह गया

उसके और मेरे 


-सुरेन्द्र पंचारिया

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